March 26, 2023

उत्तराखंड: पति की मौत से संकट में आया परिवार देखे फोटोज

हरिद्वार की पहली ई रिक्शा चालक किरण की कहानी, पति की मौत के बाद ई रिक्शा चला कर बच्चों को पढ़ाया, रोजाना कर रही है मेहनत हाल ही में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बीता और कई लोगों ने महिला सशक्तिकरण की बात की। मगर महिला सशक्तिकरण अब केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि अब गलियों मोहल्लों में भी महिला सशक्तिकरण की कई मिसाल हमें देखने को मिल रही हैंStory Of Haridwar First Lady E-Rickshaw Driver Kiran. उत्तराखंड: पति की मौत  से संकट में आया परिवार, ई-रिक्शा चलाकर बच्चों का पेट पाल रही है किरण.  Haridwar E Rickshaw Kiran Story ...

हरिद्वार की महिला ई रिक्शा चालक किरण

आज राज्य समीक्षा आपको हरिद्वार की एक ऐसी ही महिला से परिचय करवाने जा रहा है जिसने अपने पति की मौत के बाद हार नहीं मानी और वापस से अपनी जिंदगी संवारने की ठान ली। और आज वह किसी के सामने हाथ फैलाने या फिर किसी के ऊपर निर्भर होने की बजाय अपने दम पर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रही है। हम बात कर रहे हैं हरिद्वार की महिला ई रिक्शा चालक किरण के संघर्ष की। देवपुर की किरण ने यह साबित करदिया कि अगर कुछ ठान लो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। उनके पति के निधन के बाद किरण जैसे पूरी तरह टूट गई सभी लोगों ने किरण को ताने मारने शुरू कर दी। यहां तक कि उसके अपने रिश्तेदार भी उसके खिलाफ हो गए। उसके सामने चुनौतियां थीं। उसके 3 बच्चे और उसका पेट पालने की भी चिंता थी। उसने अपने दुखों को परे रखते हुए संघर्ष की राह को चुना और ई रिक्शा चलाने का फैसला लिया और हरिद्वार में किरण ई रिक्शा चलाने वाली पहली महिला बन गई हैं, जिसमें कई लोगों के लिए प्रेरणा का काम किया हैUttarakhand Haridwar E Rickshaw Driver Rupa. उत्तराखंड की रूपा को सैल्यूट,  शराबी पति को छोड़ा..ई-रिक्शा चलाकर पाल रही है 3 बच्चों का पेट. Haridwar E  Rikshaw Driver Rupa ...

किरण ने अपना हौसला नहीं छोड़ा

सड़क पर तमाम मुश्किलें झेलने के बावजूद और रिश्तेदारों के तानों के बावजूद किरण ने अपना हौसला नहीं छोड़ा और उसमें ई-रिक्शा चलाते हुए अपनी दोनों बेटियों को बीऐड करवाया है और उनकी शादी भी करवा दी है और फिलहाल उसका बेटा पड़ रहा है किरण प्रतिदिन 6 घंटे सड़कों पर ई रिक्शा चलाकर पैसे कमाती है जिससे उसका घर चलता है। बता दें कि 2010 में किरण के पति का निधन हो गया था और उसकी दो बेटियों और एक बेटे की भरण-पोषण की जिम्मेदारी किरण के कंधों पर आ गए थे। तब उसके रिश्तेदारों ने उससे मुंह फेर लिया और उसको अकेला छोड़ दिया जिसके बाद किरण ने दूसरों के घरों में बर्तन मांज कर और झाड़ू पोछा कर अपने बच्चों का पालन पोषण किया। इसके बाद 2017 में उसने एक पुराना ऑटो लिया और तब से वह ई रिक्शा चला रही है। बता दें कि किरण हरिद्वार की पहली ऐसी महिला है जिसने ई रिक्शा चलाने की हिम्मत दिखाई है और हर कोई किरण के इस जज्बे को सैल्यूट करता है वह सुबह से लेकर दोपहर तक ई रिक्शा चलाती है और दोपहर में घर आकर खाना बनाती है और शाम को एक बार फिर से रात्रि 11 बजे तक गंगा आरती के बाद सवारियों को उनके गंतव्य स्थान तक छोड़ती है। आज हर कोई किरण के इस हिम्मत और जज्बे को सैल्यूट कर रहा है और उसकी सराहना कर रहा हैउत्‍तराखंड की पहली महिला ई-रिक्‍शा चालक से सीखें संघर्ष करना और अपनी जगह  बनाना - Uttarakhand first woman e rickshaw driver Rani maisi

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