उत्तराखंड की बेटियां लड़कों से आगे काम कर रही हैं और बाद में हर क्षेत्र में अपना नाम कर रही हैं। सेना से लेकर पुलिस तक और खेल के मैदान से लेकर संगीत तक पहाड़ की बेटियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
स्कूल के समारोह से शुरू हुआ सफर आज भी है अधूरा
देव भूमि की ऐसी ही एक प्रतिभाशाली लड़की हैं अनीशा रंगड़ जो उत्तराखंड लोक संगीत क्षेत्र की एक उभरती हुई युवा गायिका हैं। महज 21 साल की उम्र में उन्होंने उत्तराखंड लोक संगीत के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
छोटी सी उम्र में अनीशा के गायन के उत्तराखंड के लाखों प्रशंसक हैं। आज अनीशा उत्तराखंड की मशहूर सिंगर हैं। अनीशा रंगड़ कुमाउनी, गढ़वाली और जौनसारी में गाना गा रही हैं।
अनीशा का मूल गायन क्षेत्र गढ़वाली लोकगीत है। गढ़वाली लोक गायिका के रूप में अनीशा के कई गाने रिलीज हो चुके हैं। अनीशा ने 400 से ज्यादा गानों में अपनी सुरीली आवाज दी है। पर उनका गायन का सफर बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा।
अनीशा बताती हैं कि उनकी मां को गाने का बहुत शौक था और वह बहुत अच्छा गाती हैं, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के चलते वह अपने इस शौक को पूरा नहीं कर पाईं।
लेकिन उन्होंने अपनी बड़ी बेटी अनीशा में खुद को देखा और अनीशा को गाना भी सिखाया। इसके बाद अनीशा अपने स्कूलों में भी गीत संगीत प्रतियोगिताओं जैसे कई समारोह में भाग लेने लगीं और बाहर छोटे-छोटे संगीत कार्यक्रम भी करने लगीं।
उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के क्यारी गांव से ताल्लुक रखने वाली अनीशा रंगड़ का परिवार वर्तमान में डालनवाला, ऋषिकेश, देहरादून में रहता है। उनके पिता श्री किशोर सिंह रंगर एक ड्राइवर के रूप में काम करते हैं, और उनकी माँ एक गृहिणी हैं।
अनीश रंगद ने अपनी मेहनत से मशहूर गायक सोहनपाल रावत को मंत्रमुग्ध कर दिया और उन्हें अनीशा का गायन भी पसंद आया और उन्होंने अनीशा को स्टूडियो में गाना रिकॉर्ड करने के लिए बुलाया।
वहां अनीशा रंगर की मुलाकात गढ़वाली लोकगीतों के प्रसिद्ध गायक केशर पंवार से हुई और वे भी अनीशा के गायन की तारीफ किए बिना नहीं रह सके।
फिर अनीशा ने अपना सिंगिंग करियर शुरू किया और पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनीशा रंगड़ और केशर पंवार के सुपरहिट गढ़वाली गाने “चल कपाट” को अब तक 26 मिलियन लोग देख चुके हैं। अब वह गढ़वाली संगीत में एक प्रसिद्ध उभरती हुई सितारा बन गई हैं।