पहाड़ में आय के साधन कम होने के कारण पलायन उत्तराखंड में चर्चा का सबसे बड़ा विषय है। दूर-दराज के पहाड़ों में सुविधाओं की कमी और बुनियादी जरूरतों की कमी के कारण युवा बड़े महानगरों की ओर पलायन करने में अधिक रुचि रखते हैं। लेकिन ऐसे में कुछ युवा ऐसे भी हैं जो पलायन को छोड़कर आत्मनिर्भरता की राह अपनाते हैं।
दुकान खोलकर औरो को भी दिया पलायन रोकने का सुझाव
लेकिन एक कहावत है जहां चाह वहां राह, आज हम आपको उत्तराखंड के बेतालघाट में पंकज टम्टा से मिलवा रहे हैं, जिन्होंने एक ऐसा उपाय खोजा है जो उन्हें अनोखे तरीके से समस्या से निजात दिलाता है।
पंकज टम्टा ने पहाड़ी सैलून नाम से सैलून खोला है। आइए आपको बताते हैं कि नैनीताल की बेतालघाट तहसील के चडुला गांव के पंकज टम्टा ने कैसे और क्या स्वरोजगार का जरिया ढूंढ निकाला है।
पिछले साल पंकज ने बेतालघाट में एक सैलून खोला और नाम दिया पहाड़ी सैलून। तब से अब तक उनके इस विचार ने बहुत से लोगों को प्रेरित किया है। पंकज ने बताया कि पहले वह रुद्रपुर में काम करता था।
लेकिन कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के चलते उन्होंने घर आने का फैसला किया. तभी उनके मन में विचार आया कि क्यों न अपना खुद का कोई व्यवसाय शुरू किया जाए।
इसके बाद पंकज ने ऐसा ही किया और द पहाड़ी सैलून नाम से दुकान खोल ली। जो आज फील्ड के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रिय हो गया है। खास बात यह है कि पंकज की यह पहल पलायन पर बड़ा हमला है.
पंकज टम्टा नामक युवक ने *पहाड़ी सैलून* खोलकर न केवल स्वरोजगार को अपनाया बल्कि अन्य युवाओं को भी स्वरोजगार के प्रति प्रेरित किया। इसी तरह धीरे-धीरे अन्य लोग भी स्वरोजगार के क्षेत्र को अपनाएं तो यह भी पलायन रोकने में मददगार साबित होगा।
पंकज टम्टा की इस पहल से प्रभावित होकर क्षेत्रीय विधायक संजीव आर्य उनका उत्साहवर्धन करने बेतालघाट पहुंचे.
उन्होंने कहा कि यहां पहाड़ी सैलून खोलकर टम्टा ने निश्चित रूप से रोजगार के क्षेत्र में एक सार्थक व सराहनीय पहल की है। जो अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणादायी है।