उत्तराखंड आज जिस मुकाम पर पहुंचा है वह यहां के लोगों की प्रतिभा के कारण ही संभव हो पाया है जिसका लोगों के दिलों में खास स्थान है। देव भूमि के इस विशाल अस्तित्व को बनाए रखने में कई लोगों की मेहनत लगी हुई है।
छोटे से नजरिए ने ले लिया बड़ा रूप के देश के बाहर भी दीवाने
इन्हीं सब में आज हम आपको एक ऐसी महिला और बेटियों की कहानी शेयर कर रहे हैं जो यहां खास जगह रखती हैं। उत्तराखंड की महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के दम पर काम कर रही हैं और अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं।
हम अक्सर आपको प्रतिभाशाली महिलाओं से मिलवाते हैं। हम आपको उत्तराखंड की एक महिला मंजू टम्टा से मिलवा रहे हैं, जो उत्तराखंड के कुमाऊं की पारंपरिक पोशाक पिछोड़ा पर अपने अनूठे स्टार्टअप के जरिए राज्य को विश्व स्तर पर एक अलग सांस्कृतिक पहचान दे रही हैं।
लोहाघाट चंपावत की रहने वाली मंजू टम्टा जी का जन्म दिल्ली में हुआ था। और उन्हें हमेशा अपने उत्तराखंड के उत्पादों को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने का जुनून था। मंजू टम्टा को कुमाऊँ के रंगीन पिछवाड़े से प्यार था।
इस बदलते युग में उन्हें पिछवाड़े में आधुनिकता की कुछ कमी महसूस होने लगी और तब से उन्होंने सोचा कि क्यों न विभिन्न आकर्षक डिजाइनों के माध्यम से अपने कुमाऊं के रंगीन पिछवाड़े को एक नया आकार और आकार दिया जाए।
फिर मंजू जी ने 2 साल बाद दिल्ली और देहरादून में रहने वाले 5-6 दोस्तों के साथ काफी रिसर्च करने के बाद अपना एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया। इससे पहले उन्होंने सिर्फ 30 पिछौरियों को अलग-अलग तरीके से डिजाइन किया था।
पिछोरी उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर है। जिसे कुमाऊँ मंडल में विवाहित स्त्रियाँ विवाह, पूजा, नामकरण आदि शुभ अवसरों पर धारण करती हैं।
मंजू जी ने नए डिजाइन किए बैकयार्ड को सोशल नेटवर्किंग माध्यम अमेजन पर देना शुरू किया। ताकि घर बैठे हर कोई अपने अनोखे डिजाइन से बनी पिछौड़ी ऑर्डर कर सके।
धीरे-धीरे मंजू जी द्वारा डिजाइन किया गया यह रंगीन बैकयार्ड न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी चमक बिखेरने लगा। मंजू जी पिछले 3 वर्षों से “पहाड़ी ई-कार्ट” के माध्यम से अपने साथियों के साथ इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं।
मंजू जी का यह स्टार्टअप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर काफी लोकप्रिय है। मंजू जी ने अपने इस अनूठे अंदाज से उत्तराखंड की पारंपरिक पोशाक को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई है।