उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां भारत के अन्य राज्यों की तुलना में पशुपालक कम हैं। यहां उन्होंने लोगों की स्थिति में काफी सुधार किया था। उत्तराखंड का पहाड़ी इलाका हमेशा से अंग्रेजों की पसंदीदा जगहों में से एक रहा है।
जब लोगो पर नहीं थी घड़ी तब घंटी बताती थी समय
जिनमें से अंग्रेजों का अल्मोड़ा से विशेष लगाव था। इस जगह पर उन्होंने स्कूल, अस्पताल सहित कई संस्थान खोले थे। इन कॉलेजों में अल्मोड़ा का रामजे इंटर कॉलेज बेहद खास है।
रामजे इंटर कॉलेज का अपना प्राचीन इतिहास है। यह कॉलेज कुमाऊं के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में से एक है। यह कुमाऊं का पहला कॉलेज है। इसकी नींव सर हेनरी रामजे ने रखी थी, जो ब्रिटिश काल में कुमाऊं के कमिश्नर थे।
रामजे इंटर कॉलेज की स्थापना 1851 में हुई थी। फिर यह स्कूल चिनखान में शुरू किया गया था और बाद में अल्मोड़ा के मौजूदा भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था।
रामजे इंटर कॉलेज में आज भी अंग्रेजों के कई निशान दिखाई देते हैं। रामजे इंटर कॉलेज में आज भी अंग्रेजों के जमाने का काफी सामान देखने को मिलता है।
यह इस इंटर कॉलेज का दुर्भाग्य है कि जब से यह खुला है तब से इस स्कूल में विज्ञान विभाग नहीं है। काफी प्रयास के बाद भी स्कूल को विज्ञान विभाग की मान्यता नहीं मिल रही है।
रामजे इंटर कॉलेज के प्राचार्य विनय विल्सन के मुताबिक स्कूल में आज भी ब्रिटिश काल की एक घंटी बजती है. उस समय जब लोगों के पास घड़ी नहीं होती थी तो इसी घंटे से समय का पता चलता था।
भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने भी रामजे इंटर कॉलेज से पढ़ाई की है। उन्होंने कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई रामजे इंटर कॉलेज से की।
यहां आपको अंग्रेजों के जमाने की एक लाइब्रेरी भी देखने को मिलती है। जो अब जर्जर स्थिति में है। स्वतंत्रता आंदोलन में रामजे इंटर कॉलेज का अहम योगदान रहा है।
भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, महान स्वतंत्रता सेनानी विक्टर मोहन जोशी और स्वतंत्रता सेनानी मुकुंदी लाल जैसी कई बड़ी हस्तियों ने इस स्कूल से शिक्षा प्राप्त की।