कोरोना के बाद युवा नौकरी से ज्यादा स्वरोजगार की ओर बढ़ रहे हैं। वे ओटी को नौकरियों से ज्यादा सुरक्षित देख रहे हैं। अच्छी नौकरी करने के बाद युवा स्टार्ट-अप की ओर रुख कर रहे हैं।
उत्तराखंड के युवाओं में आज भी प्रतिभा की कमी नहीं है। उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो पलायन जैसी बड़ी समस्या से जूझ रहा है। यहां के युवा रोजगार के दूसरे रास्ते भी तलाश रहे हैं।
इसी क्रम में आज हम आपको अल्मोड़ा के कमल पांडेय और नमिता टम्टा से मिलवा रहे हैं। दोस्तों नमिता और कमल ने आईटी सेक्टर में अच्छे पैकेज वाली नौकरी छोड़कर मशरूम का उत्पादन शुरू किया।
उन्होंने बाद में इसका विस्तार उन्होंने बाद में मशरूम का अचार-चटनी, औषधीय मशरूम की चाय आदि बनाने तक किया। अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी प्रखंड के छोटे से गांव धौरा के कमल पाण्डेय और थानाबाजार निवासी ललित कला की छात्रा नमिता टम्टा ने मिलकर वर्ष 2020 के लॉकडाउन के दौरान इस स्टार्टअप की योजना बनाई।
जिसके तहत इन दोनों ने औषधीय मशरूम का उत्पादन शुरू किया है। वे किसानों और महिलाओं को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। आपको बता दें कि कमल ने 10 साल तक आईटी सेक्टर में काम करने के बाद यह काम शुरू किया है।
कमल पांडे और नमिता टम्टा ने अपने स्टार्टअप के माध्यम से 300 किसानों के साथ 30 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया है। इसके साथ ही ये दोनों पंतनगर विश्वविद्यालय के कृषि के छात्रों को तीन माह का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।
उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि नमिता और कमल जैसे युवा आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में प्रेरणादायी कार्य कर रहे हैं।
अल्मोड़ा के पपरसाली में लीज पर रहते हुए नमिता और कमल ने मशरूम उत्पादन का ट्रायल किया। कमल और नमिता ने मशरूम चाय सहित बटन मशरूम आदि के लिए काम किया है। उन्होंने पहली बार बाबा एग्रोटेक के साथ स्टार्टअप शुरू कर मशरूम उत्पादन शुरू किया।
जिसके बाद नमिता और कमल ने मशरूम का अचार-चटनी, औषधीय मशरूम की चाय आदि बनाना शुरू किया। उनके द्वारा बनाई गई अचार की चटनी न केवल उत्तराखंड बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा आदि कई राज्यों में पहुंच रही है।