सभी जानते हैं कि जोशीमठ शहर धीमी मौत मर रहा है। इधर कई महीनों से घरों में दरारें दिखाई दे रही थीं, लेकिन 2 जनवरी की रात अचानक जेपी कंपनी की कॉलोनी के पीछे पहाड़ी से पानी का झरना फूट पड़ा।
बड़े बुजुर्गो से लेकर सरकारी अफसर किसी पर नहीं है सही जवाब
जोशीमठ की तबाही का कारण यही जलप्रपात बताया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह पानी कहां से आ रहा है और कहां से आ रहा है, यह आज भी लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
यह पानी आज भी प्रशासनिक अधिकारियों और तकनीकी संस्थाओं के लिए एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है। NIH ने पानी के सैंपल लिए, लेकिन कुछ नहीं मिला। पिछले 23 दिनों में जमीन के नीचे से करीब 2 करोड़ 21 लाख 40 हजार लीटर पानी का रिसाव हो चुका है।
पानी की यह मात्रा एक बड़ी झील के बराबर है। वैज्ञानिक संस्थाएं पानी के स्रोत का पता लगाने के साथ-साथ इसके रिसाव के कारणों का भी पता लगाने का प्रयास कर रही हैं।
पानी के रिसाव की स्थिति की बात करें तो 3 जनवरी को 550 एलपीएम, 4 जनवरी को 550, 5 जनवरी को 550, 6 जनवरी को 540, 7 जनवरी को 500, 8 को 400, 9 को 300, 10 को 250, 11 को 245, 12 से 200, 13 से 177, 14 से 240, 15 से 240, 16 से 163, 17 से 150, 18 से 123, 19 से 100, 20 से 150, 21 से 250, 22 से 136, 23 से 136, 180 से 24 और 182 एलपीएम 25 जनवरी को पानी का रिसाव हुआ।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि एनजीआरआई ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। आशंका जताई जा रही है कि जेपी कॉलोनी में ऊपरी इलाके का ही पानी निकल रहा है। यह अभी शुरुआती आकलन है, फिलहाल फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है।
उसके बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकता है। यह पानी कहां से आ रहा है इसका अंदाजा किसी को नहीं है, यहां तक कि बूढ़े और वैज्ञानिक उपकरण वाले आदमी भी इसका जवाब नहीं दे पा रहे हैं।