जोशीमठ में बारिश और बर्फबारी के बाद जोशीमठ में जगह-जगह दरारें भर गई हैं। इससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है और दरारें चौड़ी हो गई हैं।
जोशीमठ में 40 से 50 मीटर गहरी हुई दरारे
जोशीमठ के लोगों के पुनर्वास की कवायद के बीच एक और डराने वाली खबर आई है. केंद्रीय जांच एजेंसियों की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, शहर का एक बड़ा हिस्सा जलकर खाक हो गया है।
ऐसे में भूस्खलन से प्रभावित 30 फीसदी इलाका कभी भी धराशायी हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक करीब 460 जगहों पर जमीन के अंदर 40 से 50 मीटर गहरी दरारें पाई जा चुकी हैं. जांच की फाइनल रिपोर्ट आने तक स्थिति और भी खराब हो सकती है।
ऐसे में इस क्षेत्र में बसे करीब 4000 प्रभावित लोगों को तुरंत स्थानांतरित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, हैदराबाद की रिपोर्ट में बताया गया कि जांच के दौरान 460 से ज्यादा जगहों पर 40 से 50 मीटर तक गहरी दरारें पाई गईं।
पूरा शहर ढलान वाले पहाड़-मलबे के ढेर पर बना है। पत्थरों को बांधने वाली मिट्टी पानी के साथ बह गई है। शुरुआती रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि बोल्डर का निचला हिस्सा खोखला हो गया है।
इसलिए भार वहन करने की क्षमता धीरे-धीरे क्षीण होती जा रही है। भूस्खलन वाले इलाके में 4000 नहीं 2500 घर हैं, जिनमें रहने वाले 4000 लोगों को तुरंत शिफ्ट करने की जरूरत है।
बता दें कि सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई), वाडिया, आईआईटी रुड़की, एनजीआरआई, हैदराबाद, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एनआईएच), जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग की टीमें जांच में जुटी हैं।
जिन टीमों को विध्वंस, प्री-फैब्रिकेटेड मॉडल भवनों के निर्माण, भूभौतिकीय सर्वेक्षण, भू-तकनीकी सर्वेक्षण, भूमि सर्वेक्षण और पुनर्वास कार्यों के लिए जिम्मेदार बनाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक सर्वे की शुरुआती रिपोर्ट में दरार वाली 30 फीसदी इमारतों को तुरंत गिराने की सिफारिश की गई है। जबकि बाकी इमारतों में रेट्रोफिटिंग की संभावना तलाशने का सुझाव दिया गया है।