जोशीमठ उत्तराखंड का ऐसा स्थान बन गया है जो अति विकास का शिकार हो गया है। बताया जा रहा है कि इलाके पर बनी सुरंग के कारण यह जगह डूब रही है और लगातार किसी बड़ी आपदा का संकेत दे रही है।
बह रहे पानी में अखिर 10 दिन बाद आई कमी
इस बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है। आप जानते ही होंगे कि हाल ही में जोशीमठ के कई घरों में आई भारी दरारों ने लोगों को कश्मकश में डाल दिया था. घरों के नीचे से पानी निकलने की आवाज लोगों को डरा रही थी। कहीं बड़े-बड़े झरने अपने आप फूट रहे थे।
ऐसे में हर कोई दुआ कर रहा था कि जोशीमठ का ये संकट जल्द से जल्द दूर हो. अब एक राहत की खबर सामने आई है। जोशीमठ में शुरुआत में निकलने वाला पानी कम हो रहा है। आपको बता दें कि 6 जनवरी 2023 को पानी का डिस्चार्ज बढ़कर 540 एल.पी.एम. हो गया था।
अब यह घटकर 123 एल.पी.एम. हो गया है। हो गया है। आपको बता दें कि सीबीआरआई के 10 वैज्ञानिकों की टीम तीन सप्ताह से जोशीमठ की पल-पल निगरानी कर रही है. जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
वैज्ञानिकों की अलग-अलग टीमों को जल्द से जल्द अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जमा करने को कहा गया। इस बीच, सचिव आपदा प्रबंधन ने जानकारी दी है कि जोशीमठ में पानी का डिस्चार्ज धीरे-धीरे कम हो रहा है। हालांकि अभी खतरा टला नहीं है, लेकिन लंबे समय बाद जोशीमठ के लिए यह राहत भरी खबर है।
इस बीच, जोशीमठ की सुरक्षा के लिए नरसिंह देवता मंदिर में पथ संचलन किया जा रहा है। जोशीमठ में अब तक 849 इमारतों में दरारें देखी जा चुकी हैं। सर्वे का काम चल रहा है। सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 वार्ड को असुरक्षित घोषित किया गया है।
167 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। सुरक्षा के मद्देनजर 250 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 838 है।