सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में कोटद्वार से रामनगर के बीच चलने वाली बस सेवा पर रोक लगा दी है बोरे में बंद रोडवेज वाहन जहां सबसे ज्यादा तीतर पाए जाते हैं, वहां, बसों पर रोक लगा दी है।
शेरों की बढ़ती आबादी की वजह से लगाई रोक
दरअसल, कोर्ट ने राज्य सरकार और वन विभाग पर नाराजगी जताई है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को अगली तारीख तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया (बाघ प्रजनन क्षेत्र) में बस सेवा की अनुमति देने के राज्य सरकार के कदम पर भी सवाल उठाया है।
इस मामले में अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने राष्ट्रीय उद्यान के कोर क्षेत्र में प्रवेश करने वाली बस सेवा पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक याचिका दायर की थी जिसमें तर्क दिया गया था कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कोर क्षेत्र में उत्तर भारत में बाघों की सबसे बड़ी आबादी है।
इसे बाघों की आबादी का सर्वोच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र माना गया है। ऐसे में बस संचालन वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 38(ओ) और धारा 38(वी) जैसे विभिन्न प्रावधानों के ही विपरीत नहीं है बल्कि शीर्ष अदालत द्वारा जारी आदेशों के भी विरुद्ध है।
इस मामले में सरकार और वन विभाग ने राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से कोई मंजूरी नहीं ली थी. दरअसल, इस इलाके में गढ़वाल मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड की एक बस दिन में दो बार कोटद्वार से रामनगर के बीच चलती है।
गढ़वाल को कुमाऊं से जोड़ने वाली यह बस सेवा 70 के दशक से संचालित हो रही है। यहां के स्थानीय लोग कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर जोन से गुजरते हुए प्रकृति का आनंद लेते हैं। साल 2018 में हाईकोर्ट ने इस बस सेवा पर रोक लगा दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब फिर से सुप्रीम कोर्ट ने बस सेवा पर रोक लगा दी है।