आज पूरा भारत जोशीमठ के लिए एक साथ प्रार्थना कर रहा है। यह पूरा सुंदरी बर्बाद होने की कगार पर है। धराशाई होते जा रहे इस शहर को बचाना मुश्किल हो रहा है।
दिनों दिन बदत्तर होते जा रही है जोशीमठ के हालात
आदि गुरु शंकराचार्य मठस्थली भी भू-धंसाव का शिकार होने लगी है। मठस्थली में मौजूद शिव मंदिर करीब छह इंच धंस चुका है और यहां रखे शिवलिंग में दरारें आ गई हैं। मंदिर के ज्योतिर मठ के माधवाश्रम की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी।
देश भर से छात्र यहां वैदिक शिक्षा और सीखने के लिए आते हैं। वर्तमान में भी यहां 60 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। दरअसल, आदि गुरु शंकराचार्य ने मठस्थली के अंदर ही एक शिव मंदिर बनवाया था। बहुत से लोग इस मंदिर को मानते हैं। वर्ष 2000 में जयपुर से शिवलिंग लाकर स्थापित किया गया।
मंदिर के पुजारी श्री वशिष्ठ ब्रह्मचारी के अनुसार पिछले करीब 12-13 माह से यहां धीरे-धीरे दरारें आ रही थी। लेकिन स्थिति यहां तक पहुंचकर गंभीर रूप धारण कर लेगी इसका अंदाजा किसी को नहीं था। पहले सीमेंट लगाकर दरारें रोकने का प्रयास किया जा रहा था।
लेकिन पिछले सात-आठ दिनों में स्थिति बिगड़ने लगी है। मंदिर करीब छह से सात इंच नीचे धंस चुका है। दीवारों के बीच एक गैप बन गया है। मंदिर में विराजमान शिवलिंग भी धंसने लगा है। पहले उस पर चंद्रमा के आकार का निशान था जो अब अचानक बढ़ गया है।
वहीं, नरसिंह मंदिर परिसर में फर्श धंस रहा है। मठ की दीवारों में दरारें नजर आने लगी हैं। यह फ्लोर 2017 में डाला गया था, जिसकी टाइल्स बैठने लगी हैं। कुल मिलाकर जोशीमठ को हमारी दुआओं और सख्त कार्रवाई की जरूरत है ताकि स्थिति को समय रहते काबू में लाया जा सके।