जोशीमठ …. एक मुख्य स्थान और फिर चारधाम और चमोली के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला शहर। लेकिन यह स्थान आजकल पीड़ित है, इस क्षेत्र में भूस्खलन की समस्या लगातार हो रही है, चीन की सीमा से सटे होने के कारण इस स्थान की रणनीतिक स्थिति है।
घर छोड़कर जा रहे हैं लोग किराये पर रहने को मजबूर
यहां 500 घरों में दरारें आ गई हैं, इससे लोग सहमे हुए हैं। हालत यह है कि 10 से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर दूसरी जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब राज्य सरकार ने शहर को भूस्खलन से बचाने के इंतजाम शुरू कर दिए हैं।
इसके लिए सिंचाई विभाग को ड्रेनेज प्लान और उसकी डीपीआर तैयार करने को कहा है। सीवर सिस्टम से संबंधित कार्यों को जल्द पूरा कर सभी घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के निर्देश संबंधित विभाग को दिए गए हैं।
जोशीमठ पर मंडरा रहे इस संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने इसी साल जोशीमठ का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की थी. सितंबर में वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।
वैज्ञानिकों ने सर्वे कर सरकार को सुझाव दिया था कि शहर के ड्रेनेज और सीवर सिस्टम पर ध्यान दिया जाना चाहिए. नदी के कारण होने वाले मिट्टी के कटाव को रोका जाना चाहिए। निचली ढलानों पर रहने वाले परिवारों को विस्थापित किया जाना चाहिए।
बड़ी संरचनाएं क्षेत्र के लिए खतरा हो सकती हैं। इसलिए प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए। इसलिए प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए। सरकार ने वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ की जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद शुरू कर दी है।
इसके अलावा क्षेत्र के भू-तकनीकी अध्ययन, प्रभावितों के पुनर्वास सहित अन्य बिंदुओं पर जल्द कदम उठाए जाएंगे। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने हाल ही में इस विषय पर अधिकारियों से मंथन किया था. सरकार शहर का भू-तकनीकी अध्ययन भी करेगी।