उत्तराखंड से एक अच्छी खबर सामने आ रही है क्योंकि पहाड़ के तीन बहादुर बच्चों के नाम वीरता पुरस्कार के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं। खुद की जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाने वाले को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजा गया है।
रुद्रप्रयाग के नितिन और पौढ़ी के आयुष अमन का हुआ चयन
इन बच्चों में रुद्रप्रयाग जिले के नितिन, पौड़ी गढ़वाल के आयुष ध्यानी और अमन सुंदरियाल शामिल हैं। राज्य बाल कल्याण परिषद ने इन तीनों बच्चों के नाम भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली को भेज दिए हैं। अब तक उत्तराखंड के 14 वीर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
इन 14 बच्चों में टिहरी गढ़वाल के हरीश राणा, हरिद्वार की माजदा, अल्मोड़ा की पूजा कांडपाल, देहरादून की प्रियांशु जोशी, इसी जिले की स्वर्गीय श्रुति लोधी, रुद्रप्रयाग के स्वर्गीय कपिल नेगी, चमोली की स्वर्गीय मोनिका, देहरादून के लभांशु, अर्जुन शामिल हैं।
टिहरी के सुमित, देहरादून ममगई के सुमित, टिहरी के पंकज सेमवाल, पौड़ी की राखी, पिथौरागढ़ के मोहित चंद्र उप्रेती, नैनीताल के सन्नी शामिल हैं. आइए अब आपको बताते हैं उन बच्चों की बहादुरी की कहानियां, जिनका नाम इस बार राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि 12 जुलाई 2021 की सुबह 18 वर्षीय नितिन की गुलदार से मुठभेड़ हो गई थी. गुलदार ने नितिन पर झपट्टा मारा. नितिन भी गुलदार से मारपीट करने लगा। तभी गुलदार ने नितिन को छोड़ दिया और उसके बड़े भाई सुमित पर हमला कर दिया।
इसके बाद नितिन ने डंडे के सहारे गुर्गे का सामना किया। जिससे वह अपनी और अपने भाई की जान बचाने में सफल रहे। इसी तरह नैनीडांडा के कक्षा 9वीं के छात्र आयुष ध्यानी और अमन सुंदरियाल ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका के साथ जंगल की आग बुझाकर स्कूल को सुरक्षित बचा लिया।
अब राज्य बाल कल्याण परिषद ने इन वीर बच्चों के नाम वीरता पुरस्कारों के लिए भेजे हैं। पुरस्कार के लिए अंतिम चयन भारतीय बाल कल्याण परिषद, नई दिल्ली द्वारा किया जाएगा। बता दें कि भारतीय बाल कल्याण परिषद ने वीरता पुरस्कारों की शुरुआत 1957 से की थी। इस पुरस्कार में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है।