प्लास्टिक हमारे पर्यावरण का दुश्मन है। यह बात पूरी दुनिया जानती है लेकिन इसे कोई रोक नहीं पा रहा है। इसके इस्तेमाल को रोकने के लिए कोने-कोने में तरह-तरह के अभियान चल रहे हैं।
ढंग से काम ना करने वाले सभी D. F. O पर हाई कोर्ट का जुर्माना
सरकार पहले ही सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगा चुकी है और इसका इस्तेमाल करते पकड़े जाने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन लोग नहीं मान रहे हैं. प्लास्टिक कचरे का निस्तारण भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
इसके अलावा नैनीताल हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में शामिल डीएफओ पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट की इस बड़ी कार्रवाई के दायरे में प्रदेश के सभी डीएफओ आ गए हैं। यह कार्रवाई काफी सटीक मानी जा रही है जो प्रदेश के सभी डीएफओ पर की गई है।
प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में शिथिलता बरतने और प्रदेश की ग्राम पंचायतों का नक्शा अपलोड नहीं करने पर यह कार्रवाई की गई। जुर्माने की राशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करानी होगी।
हाईकोर्ट ने सभी वनमंडलीय वनाधिकारियों की सूची भी कोर्ट में पेश करने को कहा है। इतना ही नहीं कोर्ट ने सचिव पर्यावरण, सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित कुमाऊं-गढ़वाल आयुक्त को भी तलब किया है. उन्हें 15 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया है।
कोर्ट ने आदेशों का पालन न करने पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।
गुरुवार को चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने इस मामले में सख्त दिशा-निर्देश जारी किए। कोर्ट ने साफ किया कि होटल, मॉल और पार्टी लॉन के कारोबारियों को अपने कचरे को खुद रिसाइकिल कर प्लांट तक ले जाना चाहिए।
सचिव नगरीय विकास एवं निदेशक पंचायती राज को इस पर अमल कर प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। सभी जिलाधिकारियों से सूची बनाने और यह बताने को कहा कि उनके जिले में कितना कचरा एकत्र किया जा रहा है।
इसके साथ ही पीसीबी के साथ प्रमुख सचिव को राज्य में आने वाली प्लास्टिक की वस्तुओं का आकलन कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.