पिछले कुछ सालों से इस बात पर बहस चल रही थी कि देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा या नहीं। इस बीच, आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, हवाई अड्डे के विस्तार की योजना पूरी तरह से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की व्यवहार्यता रिपोर्ट पर निर्भर है।
उड्डयन विभाग की रिपोर्ट के बाद ही होगा फैसला
सरकार के अनुरोध पर प्राधिकरण की एक टीम जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार की संभावनाओं और इसके अंतरराष्ट्रीय मानकों का अध्ययन करेगी। ऐसे में जौलीग्रांट स्थित एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर का बन पाएगा या नहीं, यह फिजिबिलिटी रिपोर्ट से तय होगा।
राज्य सरकार ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण से जल्द से जल्द व्यवहार्यता सर्वेक्षण कराने का अनुरोध किया है। अपर सचिव नागरिक उड्डयन और यूकाडा के सीईओ ने इसकी पुष्टि की है। सरकार अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए पहले से चल रहे हवाई अड्डे के विस्तार की योजना पर काम कर रही है।
हवाई अड्डे के विस्तार की योजना पूरी तरह से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की व्यवहार्यता रिपोर्ट पर निर्भर है। सरकार को उम्मीद है कि अगले एक महीने में प्राधिकरण की टीम देहरादून आ सकती है। एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए रनवे के विस्तार के लिए 6.5 एकड़ जमीन की जरूरत होगी।
इसके अलावा एयरपोर्ट परिसर के विस्तार के लिए 21.5 एकड़ जमीन का होना भी जरूरी है। इस योजना में राजस्व भूमि के अलावा वन भूमि का अधिग्रहण भी शामिल किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक योजना के तहत हिमालयन हॉस्पिटल के लिए भी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।
एयरपोर्ट विस्तार योजना के लिए विस्तार हिमालयन अस्पताल द्वारा किया जाना है। इसके लिए 277 भवनों और दुकानों को शिफ्ट किया जाना है और नेशनल हाईवे को भी शिफ्ट किया जाना है।
कुल मिलाकर अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और एयरपोर्ट विस्तार योजना के पक्ष में व्यवहार्यता रिपोर्ट आती है तो बड़े पैमाने पर अधिग्रहण होगा, जिससे भविष्य में लोगों को विरोध का सामना करना पड़ सकता है।