हर कोई जानता है कि उत्तराखंड आपदा के लिए बेहद संवेदनशील है क्योंकि जोन 4 और 5 में इसका अधिकांश क्षेत्र बड़े भूकंपों को सहन नहीं कर सकता है। यहां समय-समय पर झटके महसूस किए जा रहे हैं।
नए शोध से सामने आई बात, चमोली बागेश्वर में बड़ा खतरा
कभी उत्तरकाशी-बागेश्वर में तो कभी पिथौरागढ़ में धरती कांपती है। नेपाल भूकंप के असर से पता चला है कि केंद्र दूर होने पर भी यहां तबाही आसानी से हो सकती है। इस बीच वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक भयावह चेतावनी जारी की है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में उत्तराखंड में 6 से 7 की तीव्रता का भूकंप आ सकता है और यह पांच से दस साल के भीतर भी आ सकता है। बीते दिनों राज्य में आए भारी भूकंप की बात करें तो सबसे ज्यादा तबाही 1991 में उत्तरकाशी में 6.6, 1980 में धारचूला में 6.1 आई थी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी बेल्ट में फॉल्ट लाइन की वजह से लगातार भूकंप के झटके आते रहते हैं और भविष्य में बड़े भूकंप की संभावना है। इस फाल्ट पर लंबे समय से उत्तराखंड में अत्यधिक तीव्रता का भूकंप नहीं आने के कारण यहां भी एक बड़ा गैप है।
इस फॉल्ट पर लंबे समय से उत्तराखंड में भारी तीव्रता का भूकंप न आने के कारण वैज्ञानिक भविष्यवाणी कर रहे हैं कि यहां एक बड़ा गैप भी है जो हिमालय क्षेत्र में 6 से अधिक तीव्रता के भूकंप के बराबर ऊर्जा एकत्र कर रहा है।
भूकंप अभियांत्रिकी विभाग, आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक प्रो. एमएल शर्मा का कहना है कि प्रदेश में भूकंप की दृष्टि से गणना के परिणाम बता रहे हैं कि प्रदेश में 6 से 7 तीव्रता के भूकंप की 90 प्रतिशत संभावना है. राज्य।