उत्तराखंड को युंही सैन्य भूमि नहीं कहा जाता है, यहां की जमीन में कुछ ऐसा है कि हर घर में एक योद्धा होता है। भारतीय सेना और उत्तराखंड का अटूट रिश्ता है, जो गुजरते पलों के साथ और मजबूत होता जाता है। स्कूल के दिनों से ही बच्चे के मन में भारतीय सेना में शामिल होने का एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है।
700 से अधिक बच्चे है सेना में उच्चतम अफसर
उत्तराखंड के इन स्कूलों में से एक यह स्कूल इतना खास है कि इसने देश को 700 सैन्य अधिकारी दिए। यह है नैनीताल का सैनिक स्कूल घोड़ाखाल। 21 मार्च, 1966 को देश के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में से एक घोड़ाखाल की स्थापना हुई। तभी से यह स्कूल राष्ट्र को ओटीएस सेवाएं दे रहा है।
अब तक सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के 700 कैडेट एनडीए, आईएनए, टीईएस में शामिल हो चुके हैं। कई छात्र IMA, OTA, AFA, INA, AFMC, कोस्ट गार्ड और मर्चेंट नेवी में शामिल होते हैं। कई छात्र IAS, IPS, IIT, बैंकिंग सेवाओं में शामिल हुए एनडीए में नंबर 1 पर रहे इस स्कूल को 9 बार ‘रक्षा मंत्री ट्रॉफी’ से नवाजा जा चुका है।
हाल ही में उत्तराखंड ने स्कूल के मामले में देश के सभी राज्यों को मात देकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस समय देश भर में 24 सैनिक स्कूल हैं लेकिन सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की अपनी एक अलग पहचान है। बस इतना समझ लीजिए कि इस स्कूल में हर 3 में से एक छात्र अफसर बनता है।
यह हम नहीं बल्कि खुद रक्षा मंत्रालय के आंकड़े कह रहे हैं। रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए ताजा सर्वे में सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में औसतन 33.4 फीसदी छात्र आर्मी ऑफिसर बने। दूसरे स्थान पर रहा हिमाचल प्रदेश के सैनिक स्कूल का औसत 30.4 प्रतिशत रहा।
आंध्र प्रदेश का सैनिक स्कूल तीसरे स्थान पर रहा। औसत 24.3 प्रतिशत सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का हर तीसरा छात्र आर्मी ऑफिसर है। देश के किसी भी राज्य के सैनिक स्कूल ने यह आंकड़ा नहीं छुआ है।
आइए अब आपको यहां एडमिशन लेने के बारे में बताते हैं, अगर आपके बेटे या बेटी ने 5वीं क्लास की है और आप उसकी आगे की पढ़ाई सैनिक स्कूल में करना चाहते हैं तो आप 30 नवंबर 2023 तक सभी डिटेल भर सकते हैं।
ऑल इंडिया सैनिक की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर स्कूल प्रवेश परीक्षा aissee.nta.nic.in आप वहां अपने बच्चे का विवरण भी भर सकते हैं। सैनिक स्कूल घोड़ाखाल भी उत्तराखंड के गौरवशाली इतिहास और अदभुत वीरता का साक्षी रहा है।