सिंधु घाटी सभ्यता एक ऐसी सभ्यता है जो दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता में से एक है जिसके बारे में सभी जानते हैं। ज्ञात हो कि सिंधु घाटी सभ्यता आज से लगभग 8000 वर्ष पुरानी है। जब सिंधु घाटी सभ्यता की बात आती है तो कई पुराने रहस्य सामने आते हैं।
जिसमें से सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तनों का नाम सूची में सबसे ऊपर है। यह ज्ञात है कि सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तन बहुत अच्छे माने जाते थे। अभी भी यहां आप कुम्हारों को निधि दे सकते हैं।
साथ में यह माना जाता था कि सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तनों से लोगों ने तरह-तरह के नए बर्तन बनाना सीखा है। आज हम आपको भारतीय राज्य गुजरात के एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आज भी सिंधु घाटी सभ्यता का सहारा है।
जी हां, हैरानी की बात यह है कि इस युग में भी कोई सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है। हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं उसका नाम रामजू भाई है। रामजू और उनका पूरा परिवार सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तन बनाते हैं। रामजू भाई गुजरात के अहमदाबाद शहर से 400 किमी दूर भुज के एक छोटे से गांव में रहते हैं। इसी गांव में वह अपने बर्तन बनाते हैं।
आपको बता दें कि सिंधु घाटी में मिट्टी के बर्तनों को बर्तन बनाने के लिए विशेष प्रकार की मिट्टी की जरूरत होती है। सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तन बनाने के लिए जिस मिट्टी की आवश्यकता होती है, वह मिट्टी खावड़ा मिट्टी के नाम से जानी जाती है।
यह मिट्टी एक ऐसी मिट्टी है जो हर जगह नहीं मिलती। यह मिट्टी झील के किनारे पाई जाती है, वो भी एक अलग तरह की झील के किनारे। ज्ञात होता है कि जिस गाँव में संजू भाई और उनका परिवार रहता है, उस गाँव के किनारे एक सरोवर है, यह मिट्टी उसी सरोवर के पास पाई जाती है।
आपको बता दें कि संजू भाई खावड़ा मिट्टी से बर्तन बनाते हैं और उस बर्तन को अपने हाथों से गढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की महिलाएं बर्तनों पर पेंटिंग और डिजाइनिंग का काम करती हैं. संजू भाई के पूर्वजों की बात करें तो उनके पूर्वज सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तन बनाते थे। यही कारण है कि वह भी अपने पूर्वजों के बताए रास्ते पर चलकर सिंधु घाटी सभ्यता के बर्तनों का निर्माण करते हैं।