आज के विश्व में स्वास्थ्य मानव जीवन का मूलभूत कारक है। प्रकृति के साथ जीने के लिए कड़ी मेहनत और सीख लेनी पड़ती है। लेकिन हम आपको यह बताना पसंद करते हैं कि मानसिक तनाव कितना भी हो, प्रकृति की गोद में आकर मन हमेशा शांत रहता है।
हम भले ही प्रकृति से दूर रहें, लेकिन जब भी पेड़-पौधों के आसपास हरियाली, पेड़-पौधे हों, तो वह जुड़ाव सभी को दिखाई देता है। प्रकृति से बढ़कर किसी के पास उपचार करने की शक्ति नहीं है। जो लोग अवसाद से पीड़ित हैं उन्हें भी प्रकृति के साथ कुछ समय बिताने की हिदायत दी जाती है। रानीखेत के कालिका रेंज में एक ऐसा वन और प्राकृतिक उपचार केंद्र है
जहां लोग अपने मन को शांत करने और अवसाद को दूर करने आते हैं।डे ढ़ साल से भी अधिक समय में प्रकृति से संबंधित भौतिक चिकित्सा के लिए 200 से अधिक पर्यटक यहां पहुंचे हैं। जी हां, कालिका वन परिक्षेत्र में देश का पहला हीलिंग सेंटर यानी वन एवं प्राकृतिक उपचार केंद्र लोगों को आकर्षित करने लगा है।
पर्यटक यहां विभिन्न राज्यों के थायच की तुलना में प्रकृति को इतना अधिक जीते हैं, यहां मानसिक विश्राम के लिए जैव विविधता से भरपूर जंगल में देवदार के पेड़ों में लिपटे हुए देखे जा सकते हैं। वैश्विक आपदा कोरोना के बीच प्रकृति और जंगल से जुड़े प्राकृतिक उपचारों के जरिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दीवानगी के बाद केंद्र की चर्चा तेज हो गई है। यही कारण है कि रानीखेत में देश के पहले चिकित्सा केंद्र की स्थापना के बाद।
पेड़ से करे दोस्ती और डिप्रेशन करे दूर
चीड़ के पेड़ों के बीच कुछ ऊंचाई पर बने ट्रीहाउस हीलिंग सेंटर का आकर्षण बढ़ाते हैं। पर्यटक यहां हवादार ट्रीहाउस व घरों में स्वच्छ हवा के बीच ध्यान एवं योग भी करते हैं।
कालिका वन अनुसंधान केंद्र रानीखेत के क्षेत्रीय अधिकारी और अनुसंधान अधिकारी राजेंद्र प्रसाद जोशी ने कहा कि उपचार एक बहुत पुरानी प्रक्रिया है और यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध भी हो चुका है कि देवदार के पेड़ अवसाद को दूर करने में सहायक होते हैं।
कुल मिलाकर रानीखेत कालिका हीलिंग सेंटर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है और कई लोगों ने इस उपचार केंद्र का लाभ उठाया है।