उत्तराखंड में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से लेकर वाहन पंजीकरण कराने जैसे सरकारी काम सभी चीजें महंगी हो गई हैं। प्रति लेनदेन उपयोगकर्ता शुल्क भी 20 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है।
जल्दी लागू नए नियम और उनके फीस
आय को इलेक्ट्रॉनिक टोकन मशीनों के कम्प्यूटरीकरण, सुधार और रखरखाव पर खर्च किया जाएगा। धामी कैबिनेट ने इन सेवाओं पर लगने वाले यूजर चार्ज को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। सरकार द्वारा उत्तराखंड सूचना प्रौद्योगिकी (परिवहन विभाग) में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड फाइलिंग, जनरेशन और यूजर चार्ज नियम के तहत यह यूजर चार्ज बढ़ा दिया गया है।
जिसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ेगा। अब लोगों को हर ट्रांजैक्शन पर यूजर चार्ज के तौर पर तीस रुपये ज्यादा देने होंगे। धामी सरकार ने वाणिज्यिक यात्री वाहन-बस और टैक्सी दुर्घटना में मृत्यु के मामले में मृतक के परिजनों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में भी वृद्धि की है। इसे एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है।
उत्तराखंड में सड़क हादसों को रोकने के लिए सड़क सुरक्षा कोष मद का बजट भी बढ़ाया गया है। अब तक परिवहन विभाग कंपाउंडिंग शुल्क से वसूल की जाने वाली राशि का 25 प्रतिशत जमा करता था, जिसे अब बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है।
यह बजट सड़कों के ब्लैक स्पॉट सुधार के साथ ही प्रवर्तन कार्यों पर खर्च किया जाएगा। उत्तराखंड में परिवहन विभाग की सभी सेवाएं ऑनलाइन हैं। अब तक नए ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने, लाइसेंस में नाम, पता या मोबाइल नंबर बदलने, वाहन का रजिस्ट्रेशन, फिटनेस फीस और परमिट फीस के लिए बीस रुपये यूजर चार्ज और टिक कंज्यूमिंग प्रोसेस देना पड़ता था।
जिसे अब बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है। ऐसे में सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस यूजर चार्ज तो बढ़ा दिया है, लेकिन विभाग की ऑनलाइन सेवाओं की खामियों को दूर करने की जरूरत है। विभाग के कार्यालय में कम्प्यूटरों की स्थिति ठीक नहीं है, साथ ही सुधार की भी आवश्यकता है।