सदियों से भारत में समलैंगिकता को एक अलग नजरिए से देखा जाता था, लेकिन इस समय में जब लोग चांद पर पहुंच रहे हैं तो उनका नजरिया इस प्रकार तीसरे लिंग के प्रति है या हम कह सकते हैं कि बदलते समय के साथ LGBTQIA+ समुदाय के लोगों को पहचान मिली है।
घर छोड़ा दोस्तों ने छोड़ा फिर भी हासिल किता मुकाम
हालांकि अभी भी समाज में कुछ लोग हैं जो उन्हें आम लोगों से अलग देखते हैं। समलैंगिक लोग अपनी सफलता से समाज की इस सोच को तमाचा दे रहे हैं। आपने अब तक ऐसे कई ट्रांसजेंडर्स की सफलता के बारे में पढ़ा या सुना होगा जिन्होंने अपनी मेहनत से अपने जीवन को बेहतर बनाया।
आज हम यहां आपको ऐसी ट्रांसजेंडर की कहानी शेयर कर रहे हैं, जिन्होंने कई चुनौतियों का सामना करने के बाद भी देश की पहली ट्रांस ब्यूटी क्वीन बनकर एक मिसाल कायम की है। इसी क्रम में आइए जानते हैं भारत की पहली ट्रांसजेंडर ब्यूटी क्वीन और उनके सफर के बारे में।
हम बात कर रहे हैं देश की पहली ट्रांस ब्यूटी क्वीन का खिताब जीतने वाली निताशा बिस्वास की। अब आप सोच रहे होंगे कि इनमें ब्यूटी क्वीन का चुनाव कैसे किया गया। दरअसल, साल 2017 में हमारे देश में पहली बार ट्रांसजेंडर ब्यूटी क्वीन कॉन्टेस्ट का आयोजन किया गया था, जिसमें नताशा बिस्वास ने यह खिताब जीता था।
निताशा का ब्यूटी क्वीन बनने तक का सफर बाकी लोगों की तरह इतना आसान नहीं था, लेकिन वह अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए पहाड़ की तरह दृढ़ थी। उनका जन्म कोलकाता में हुआ था, उनके जन्म के बाद निताशा का नाम सुवांको रखा गया था। वह केवल 6 वर्ष की थी जब उसकी माँ हमेशा के लिए इस दुनिया से चली गई।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, निताशा ने बताया कि वह शुरू से ही जानती थी कि वह बाकी बच्चों से अलग है। पुरानी बातों को याद करते हुए निताशा ने बताया कि जरा सी भी दिलचस्पी न होने के बावजूद उन्हें लड़कों का काम करने के लिए मजबूर किया जाता था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक बार निताशा ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया था क्योंकि किसी ने उन्हें फुटबॉल खेलने के लिए कहा था. इतना ही नहीं अन्य छात्र भी उसे खूब प्रताड़ित करते थे।
निताशा शुरू से ही एक मॉडल बनना चाहती थी लेकिन उनके हालात में बचपन बहुत चुनौतीपूर्ण था। इसके बावजूद वह अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए तैयार थी और इसी बीच वह देश की राजधानी दिल्ली चली गई। यहां आने के बाद उन्हें लोगों से अपनी पहचान छुपानी पड़ी. बाकियों से अलग होने के कारण उन्होंने हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराने का फैसला किया।
आमतौर पर सर्जरी के दौरान किसी को अपने साथ रखना जरूरी होता है। किसी के अपने होने से मरीज को हिम्मत मिलती है। लेकिन निताश अपनी सर्जरी के दौरान बिल्कुल अकेले थे। उनके परिवार, रिश्तेदार और यहां तक कि परिवार के सदस्य भी उन्हें छोड़कर चले गए थे। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और अकेले ही अपनी राह पर चलती रही।
मॉडल बनने के बाद भी करना चाहती है समाज का उद्धार
उन्होंने बताया कि वह जहां काम करती थीं, वहां लोग उन्हें अलग तरह से देखते थे। उनका कहना है कि एक बार वह अपने कुछ दोस्तों के साथ एक पार्टी में गई थीं। पार्टी के दौरान जब उसके दोस्तों को उसकी असलियत पता चली तो उन्होंने उसे छोड़ दिया। लेकिन समय सबके लिए एक जैसा नहीं रहता, बदलता जरूर है। निताशा का समय भी बदल चुका था। जब वह सर्जरी के बाद पहली बार अपने घर गई तो उसने देखा कि उसके प्रति परिवार का व्यवहार बदल गया है। सभी ने बताया कि वह बिल्कुल अपनी मां की तरह दिखती हैं।
वर्तमान में वह एक मॉडल और स्टाइलिश के रूप में काम कर रही हैं। उन्हें ओटीटी प्लेटफॉर्म से कई ऑफर मिलते हैं लेकिन वह उन्हें स्वीकार नहीं करती हैं। वह कहती है कि वह एक नेता और नीति निर्माता बनना चाहती है ताकि वह समाज में बदलाव ला सके।