कहा जाता है कि अगर आपका हौंसला बुलंद है तो आपके लिए कुछ भी संभव नहीं है। इस बयान को उत्तराखंड की दिव्यांग बीना तिवारी ने सही साबित किया है। उन्होंने अपनी विकलांगता को अपनी सफलता के आड़े नहीं आने दिया और आज उनकी सफलता इस बात का उदाहरण है कि जोश और मेहनत से सब कुछ संभव है। बस कुछ पाने की प्रबल इच्छा होनी चाहिए, उसके बाद परिस्थितियाँ मायने नहीं रखतीं।
दिव्यांग बीना तिवारी ने द्वाराहाट का ताल्लुक रखा और उन्होंने अपने दिन बहुत मुश्किलों में बिताए, लेकिन उनके हौसले ने उनकी उम्मीदों को कम नहीं होने दिया और आज विकलांग होने के बावजूद वे उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की अंग्रेजी के लिये प्रवक्ता परीक्षा में सफल हुई हैं और प्रवक्ता बनकर एक मिसाल कायम की हैं।
एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली बीना बचपन से ही विकलांग थीं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मजबूत इरादों के साथ मेहनत करना नहीं छोड़ा. बचपन से ही उनकी पढ़ाई में काफी रुचि थी और चुनौतियों के बीच उन्होंने कभी पढ़ाई को आड़े नहीं आने दिया। वह स्कूल जाने के लिए भी अपने हाथों का इस्तेमाल करती थी।
ग्रेजुएशन के दौरान भी उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। इसी बीच एक संस्था की नजर बीना तिवारी पर पड़ी और उस आश्रम ने उनके पैरों की सर्जरी करवाई। तभी से वह वॉकर के सहारे चलने लगी। उसके बाद उन्होंने अल्मोड़ा से अंग्रेजी में मास्टर्स और बीएड किया और उसके बाद उन्होंने 2021 में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की प्रवक्ता की परीक्षा दी और आज अंग्रेजी की प्रवक्ता बनकर दूसरों के सामने एक मिसाल कायम की है।