उत्तराखंड राज्य में हवाई यात्रा को बढ़ाने के लिए। इधर सरकार ने हेली सेवाओं के लिए कई हेलीपैड बनाने शुरू कर दिए हैं। इससे एक शहर से दूसरे शहर की कनेक्टिविटी मजबूत हो रही है। इसी कड़ी में अब एक नई कवायद शुरू हुई है। प्रदेश के छह हेलीपैड पर हेलीपोर्ट बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए बजट भी जारी कर दिया गया है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि उत्तराखंड के अधिकांश पहाड़ी क्षेत्र भौगोलिक परिस्थितियों के कारण आपदा संभावित क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं। यहां किसी भी आपदा का खतरा ज्यादा है। अत्यधिक बारिश के कारण जब कोई आपदा आती है तो सड़कों का संपर्क टूट जाता है। ऐसे में राज्य सरकार की हेली सेवाओं पर ज्यादा ध्यान देने की वजह समझ में आती है|
दरअसल, उत्तराखंड में हेली सेवाएं शुरू होने से लोगों के पास यात्रा के बेहतर साधन होंगे। इन सब बातों को देखते हुए सरकार अब प्रदेश के छह हेलीपैड पर हेलीपोर्ट बनाने का प्रयास कर रही है. इस सूची में गौचर, चिन्यालीसौर, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, कोटी कॉलोनी और सहस्रधारा शामिल हैं। बता दें कि इन हेलीपैडों पर नियमित हवाई सेवा संचालन के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
वर्तमान में, अधिकांश हेलीपैड पर केवल रनवे उपलब्ध है। अब हेलीपैड को अपग्रेड कर हेलीपोर्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। जिसके बाद वे एक से अधिक हेलीकॉप्टर पार्क करने में सक्षम हो जाएंगे। इसके अलावा हैंगर, पैसेंजर टर्मिनल, फायर बिल्डिंग, वॉच टावर और बाउंड्री वॉल का निर्माण किया जा रहा है। इन हेलीपोर्ट के बनने से यात्रियों को आसानी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां एक से ज्यादा हेलिकॉप्टर पार्क किए जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि नागरिक उड्डयन विभाग ने इन छह हेलीपैड को अपग्रेड करने के लिए बजट जारी किया है। इस वित्तीय वर्ष में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। गौचर को 16.98 करोड़, चिन्यालीसौर को 6.40 करोड़, अल्मोड़ा को 14.90 करोड़, हल्द्वानी को 9.49 करोड़, कोटि कॉलोनी को 11.88 करोड़, सहस्राधार को 34.28 करोड़ रुपये।