दहेज़ के लालची और लोभी के सुपूर्त में आया कानून अब जो लोग दहेज़ लेंगे उनके खिलाफ नहीं होगी अब कार्यवाही कोर्ट ने इस मामले में एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। दहेज़ जिसे बहरत की कुप्रथा कहा जाता है जिस प्रथा भारत लम्बे समय से जूझ रहा है जिस प्रथा के कारण कई बेटियां मारी गयी कई बेटियां छोड़ी गयी कई बेटियों की ज़िंदगियाँ बर्बाद हो गयी उस प्रथा को अब कानून ने सपोर्ट दिखाया है हालही में एक कोर्ट ने फ़ासिला सुनाया है की शादी के वक़्त पिता द्वारा बेटी को दिए गए उपहार और गिफ्ट दही की श्रेणी में नहीं आएंगे और वो गिफ्ट ही होंगे चाहे पिता बेटी को कॅश दे, दुर्निचरे दे, इलेक्ट्रॉनिक सामान दे, गहने दे, उसे दही ज में गिना नहीं जाएगा।
आपको बता दे की ये करेला के एक कोर्ट में फैसला सुनाया गया है जोकि काफी चुका देने वाला है करेला हाई कोर्ट में हल्ही में डाउरी प्रिवेंशन एक्ट में 1961 के तहत एक मामले में फैसला सुनते हुए कहा की बेटी के शादी के वक़्त अगर इसके सुखी जीवन के लिए उसका पिता उसे कुछ उपहार देता है अब चाहे ये उपहार कोई रसोई का सामान हो, घर का सामान हो, कॅश हो, गाडी हो या फिर कुछ और इन सभी चीज़ों को दहेज़ में नहीं गिना जायेगा कोर्ट का ये जो फैसला है ये कही न कही दहेज़ की कुप्रथा का साथ देने वाला फैसला है।
इसका जो कारण है वो कैसे आप कह सकते है की पिता जो अपनी बेटी को तोहफा दे रहा है वो बिना किसी प्रेशर के दे रहा है हो सकता है की ससुराल वालों ने खुद मांग रखी हो और पिता ने तोहफा बबूल कर वो मांग पूरी कर रहा हो कैसे हम लोग पता लगा सकते है की ये दहेज़ है या तोहफा इसीलिए कहा जा रहा है की ये जो फैसला है वो दहेज़ वालों के लिए सही फैसला नहीं है जो लड़कियां दहेज़ प्रातः का शिकार हो रही है या आने वाले समय में होती है उनके लिए यते फैसला बहुत बड़ा बाधा बनेगा और ये अलग करना मुश्किल हो जायेगा की शादी का ये तोहफा है या दहेज़। अब हम आपसे पूछना चाहते है की आपको ये जांनकारी जानकर कैसा लगा और अपनी राय हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताये और शेयर जरूर करे।