March 26, 2023

इस शहीद के आत्मा आ भी देती है पहरा और साथ ही इनकी सीट भी हर जगह बुक कराई जाती है और इनके मदिर भी बनाये गए है

हमारी भारतीय सेना में कई जवान ऐसे भी है हुए जो बड़ी बहादुरी से जंग में शहीद भी हुए लेकिन इन सबके विपरीत ऐसा भी हुआ की जो सिक्किम के बीच भारत और चीन के बोर्डेर पर शहीद होने के 48 साल भी सरहद की रक्षा कर रहा है ये सुनने बहुत अजीब लगता है लेकिन आर्मी के साथ साथ वहां के लोगो का भी यही मानना है और दूर दूर से लोग यहाँ उनकी पुआ करने आते है यही नहीं बल्कि इस सैनिक ने मरने के बाद भी अपनी नौकरी जारी रखी है।

भारत और चीन की सीमा के साथ कठोर उचाईयों पर भातीय सेना हमेशा बेफिक्री के साथ तेहनाथ रहती है चीन के चतुराई के बावजूद सैनिक हमेशा बिफिकर रहते है लाख मुश्किलें आये लेकिन कोई भारतीय सेना का बाल भी बका नहीं कर सकता क्योकि यहाँ सैकड़ों सैनिक के साथ एक ऐसा सैनिक भी तेहनाथ है जो दीखता नहीं पर यहाँ मौजूद है। यहाँ हम बात कर रहे है बाबा हरभजन सिंह की रभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को गुजरांवाला जोकि अब पाकिस्तान में है वहां हुआ था।सेना के रिकॉर्ड के मुताबिक रभजन सिंह 1966 में पंजाब रेजिमेंट में एक आम सिपाही के तोर पर शामिल हुए थे कुछ समय बाद उनकी तेहनाथी तुकु ला में हुई और वही एक हादसे में उनकी मृत्यु हो गए ऐसा कहा जाता है की ये हादसा तब हुआ जब वो घोड़ों के काफिले को तुकु ला से डोंगचुई ला ले जा रहे थे तभी वो फिसल कर वहां एक नाले में गिर गए पानी के तेज़ धरा में उनका शरीर बह कर घटना स्थल से 2 किलोमीटर दूर जा पंहुचा उनके शरीर को ढूंढ़ने की काफी कोशिश की गयी उस दिन काफी बर्फ़बारी भी हुई लेकिन फिर भी शरीर का कुछ पता नहीं चला।

 

सेना को लगा की रभजन सिंह अपनी ड्यूटी से बचने के लिए भाग गए है लेकिन कुछ समय बाद वो अपने एक साथी के सपने में आये और उन्होंने अपने एक साथी को बताया की उनका शरीर कहाँ पड़ा है सुबह होते ही जब सैनिको ने तलाश की तो रभजन सिंह शव और राइफल वही पर बरामद हुए जहाँ उन्होंने सपने में बताया था सेना से रभजन सिंह को भगोड़ा समझने की गलती हो गयी थी इसी लिए उन्होंने अपनी भूल को सुधारा और उनका अंतिम संस्कार पुरे सम्मान के साथ किया।कुछ समय बीता तो रभजन सिंह एक बार फिर अपने सैनिक साथी के सपने में आ गए और उन्होंने उससे कहा की उनका शरीर गया है लेकिन उनकी आत्मा अब भी ऑन ड्यूटी ही रहेगी शुरुवात में तो सबसे उस सपने की बात को वहम मानकर किसी ने धियान नहीं दिया लेकिन बाद में साथी सैनिकों के साथं कुछ ऐसा होने लगा जो अजीब था जैसे अगर किसी के कोई गलती होने वाली होती या उनके साथ कोई अनहोनी घटना होने वाली होती तो रभजन सिंह पहले ही सपने में आकर सावधान कर देते।

साथ ही वहां खड़े सैनिको का मानना ये भी था की इतनी तेज़ ठंड में भी किसी सैनिक को झपकी नहीं लग सकती थी अगर गलती से लग भी जाती तो उसे बाबा का थप्पड़ पद जाता था सैनिकों को हमेशा ये अहसास होता की रभजन सिंह हमेशा उनके साथ है ऐसा नहीं है की सिर्फ रभजन सिंह के होने का सिर्फ सैनिकों को एहसास हो बल्कि चीनी सैनिक भी इस बात को मानते थे चीन ने कई बार भारत से कहा था की आपका एक सैनिक यहाँ पर घोड़े पर घूमता है आप उसे वापस बुला लो जब इस बात की तहकीकात हुई तो पता चला की जब बाकी सारे सैनिक वहां बोर्डेर पर तेहनाथ होते है तो एक सैनिक वहां ऐसा भी होता है जो सैनिक नहीं बल्कि एक आत्मा है जो देश की रक्षा कर रहा है तब से रभजन सिंह बाबा रभजन सिंह हो गए इसके बाद वही खली पड़े बनकर में उनका मंदिर बना दिया गया उसमे उनकी वर्दी जुटे और बाबा का बिस्तर और सभी जरूरी सामान रख दिया गया।

सेना ने उन्हें एक ड्यूटी सिपाही का दर्जा दिया जो सैनिकों पर लागू होते थे वो उनपर भी होने लगे यहाँ तक की तन्खुआ छुट्टी से लेकर परमोशन तक बाबा के मंदिर का जिम्मा आर्मी ने अपने हाथों में ले लिए उन्हें सुबह से लेकर रात के खाने तक सब कुछ परोसा जाने लगा जैसे ही रात का समय होता मंदिर के दर वाजे बंद कर दिए जाते क्योकि ये बाबा की ड्यूटी का समय होता था और कई दफा ऐसा होता था जब सैनिक सुबह मंदिर में आते तो देखते थे की चादर तानी हुई नहीं है बल्कि उसमे सिवत्ते है वहां रखे जूतों में मिटटी लगी होती थी भारतीय सेना हर मीटिंग में बाबा को शामिल किया करती थी।
उस मीटिंग में उनके नाम की एक खली कुर्सी रखी जाती थी बाबा रभजन सिंह को उनकी छुट्टी पर गाओं भी भेजा जाता था इसके लिए ट्रैन में स्पेशल सीट भी रिज़र्व भी की जाती थी और तीन सैनिकों के साथ उनका सारा सामान गाओं भी भेजा जाता था जब उनकी छुट्टी पूरी होती तो सैनिकों को वहां भी कर बाबा को वपस भी बुला लिया जाता था जिन दिनों बाबा छुट्टी पर रहते थे उन दिनों पूरा बोर्डेर हाई अलर्ट पर रहता था क्योकि उस वक़्त सैनिकों को बाबा की मदत नहीं पाती थी ऐसे में सेना के जवान हाई अलर्ट में रहते थे फिर साल 2006 में बाबा को रिटायर कर दिया गया और उसके बाद कहा गया की बाबा यही बनकर में रहते है और देश की सुरक्षा करते है।

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