डॉक्टर भक्ति यादव को डॉक्टर दादी के नाम से भी जाना जाता है डॉक्टर भक्ति यादव का जन्म 3 अप्रैल को 1926 को उज्जैन के छोटे से नगर महिदपुर में हुआ था उस समय किसे पता तह की ये छोटी बच्ची आने वाले समय में लोगो के लिए वरदान बनेगी इस छोटी बच्ची का नाम उनके माता पिता ने बहकती यादव रखा।
भक्ति की पड़ने में रूचि देख कर उनके पिता ने उन्हें इंदौर के एक अहिल आश्रम स्कूल जोकि सिर्फ महिलाओं के लिए था उनका उसमे दाखिला करा दिया था डॉक्टर भक्ति ने 11 तक वहां पढाई की थी और अच्छे नंबर आने की वजा से उन्हें MBBS के लिए महात्मा गाँधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में उनके पिता ने उनका दाखिला करा दिया।
डॉक्टर भक्ति यादव इस कॉलेज की पहेली महिला डॉक्टर बनकर निकली सं 1952 में MSB डॉक्टर भक्ति यादव ने महात्मा गाँधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से ही किया था उसके बाद कई नौकरियों के उनके पास ऑफर आये लेकिन उन्होंने सब ठुकरा दिया और कुछ समय बाद ही उन्होंने अपनी पति के साथ वात्सल्य नर्सिंग होम अपने ही घर पर खोला जोकि 36 सालों से अब तक चल रहा है। अब ये नर्सिंग होम उनके बीटा और बहु चलते है।
डॉक्टर भक्ति यादव ने 1,50,000 से ज्यादा ऑपरेशन और 70 हज़ार नार्मल डिलीवरी कराइ है उन्होंने कई हज़ारों लोगो का मुफ्त में इलाज किया है उम्र की आखिरी पड़ाव तक वो मरीजों को देखते रही फिर 51 साल की उम्र में उन्हें उठने बैठने में तकलीफ थी तब भी वो मरीजों की किसी न किसी तरह से मदत करती थी। भारत की ऐसी बेटी को हम सब नमन करते है डॉक्टर भक्ति यदा की मृत्यु 14 अगस्त 2017 में हुई थी इनके इस कहानी से हमे ये पता चलता है की सेवा ही धर्म है।